रमेश जी ने लड़खड़ाती आवाज में कहा"सरिताजी ये सब रमा की आह लगी है हम सबको! रमेश जी ने लड़खड़ाती आवाज में कहा"सरिताजी ये सब रमा की आह लगी है हम सबको!
रुबीना जैसे ही भोपाल की उन गलियो में दिलजीत के साथ 25 साल बाद घुसी। रुबीना जैसे ही भोपाल की उन गलियो में दिलजीत के साथ 25 साल बाद घुसी।
तुझे मोहब्बत कहूँ, या मैं अपना प्यार कहूँ तुझे मोहब्बत कहूँ, या मैं अपना प्यार कहूँ
बिखरे रंगों में... बिखरी बिखरी सी उमंग बिखरे रंगों में... बिखरी बिखरी सी उमंग
एक और हमारे रीति-रिवाज है। दूसरी और मोबाइल का मायाजाल है एक और हमारे रीति-रिवाज है। दूसरी और मोबाइल का मायाजाल है
अपनी कहानी खुद लिखने में सक्षम ये कर्ण अपनी कहानी खुद लिखने में सक्षम ये कर्ण